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"तरक़ीब / पीयूष दईया" के अवतरणों में अंतर

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20:13, 11 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

चलते बनो या
सही दाम लगाना आना चहिए

सौदा पटाने के लिए
आला दर्जे के टिकाऊ व मर्मज्ञ बोलों का

बजाय तरक़ीब के
ये भुरता बना देते हैं वरना

मैं जैसे बन गया हूँ