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"बीच सड़क पर / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
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+ | कभी जाति, | ||
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+ | झण्डे फहराकर | ||
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+ | छीन भूखों का | ||
+ | खुद खा जाएँगे। | ||
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+ | नफ़रत बोकर | ||
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+ | फ़सलें काटेंगे | ||
+ | खुली हाट में | ||
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+ | तुझे कसम है- | ||
+ | हार न जाना | ||
+ | लंका नगरी में | ||
+ | खो गया | ||
+ | विश्वास कहाँ से | ||
+ | खोजके लाएँगे। | ||
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+ | इंसानों के | ||
+ | दुश्मन तो हर | ||
+ | घर में बैठे हैं | ||
+ | उनसे टक्कर | ||
+ | लेनेवाले- | ||
+ | भी मिल जाएँगे। | ||
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22:57, 22 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण
जब-जब दानव
बीच सड़क पर
चलकर आएँगे।
किसी भले
मानुष के घर को
आग लगाएँगे।
अनगिन दाग़
लगे हैं इनके
काले दामन पर
लाख देखना-
चाहें फिर भी
देख न पाएँगे।
कभी जाति,
कभी मजहब के
झण्डे फहराकर
गुण्डे कौर
छीन भूखों का
खुद खा जाएँगे।
नफ़रत बोकर
नफ़रत की ही
फ़सलें काटेंगे
खुली हाट में
नफ़रत का ही-
ढेर लगाएँगे।
तुझे कसम है-
हार न जाना
लंका नगरी में
खो गया
विश्वास कहाँ से
खोजके लाएँगे।
इंसानों के
दुश्मन तो हर
घर में बैठे हैं
उनसे टक्कर
लेनेवाले-
भी मिल जाएँगे।