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"इस दुनिया में / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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जितना विष तुम पी पाओगे।
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जितना विष तुम पी जाओगे।
  
 
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विषधर फैले यहाँ-वहाँ
 
विषधर फैले यहाँ-वहाँ
इनसे कैसे बच पाओगे।
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तुम खुद को कहाँ छुपाओगे।
  
 
मन है जब तन में
 
मन है जब तन में

21:54, 8 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

इस दुनिया में
जैसे भी हो
तुम उतना ही पाओगे।
जितने पल तक
निर्भय होकर
जितना विष तुम पी जाओगे।

जीना है यदि
कोई मजबूरी
कर लो कम विष से अपनी दूरी
विषधर फैले यहाँ-वहाँ
तुम खुद को कहाँ छुपाओगे।

मन है जब तन में
रोना होगा
जितना पाया
उतना खोना होगा
गीतों में है
जब दर्द भरा
हँसी कहाँ से फिर लाओगे।
(9-11-2001: वस्त्र-परिधान अंक 48)