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18:38, 27 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण
साथ जन्में थे हम
पर उम्र अलग अलग थी
मैं बढ़ता गया वह घटती गई
तय था एक दिन हमारा मिलना
पर मिलते तो दो में से
एक ही रह पाता
मैं उससे मिलना टालता रहा
ठेलता रहा उस दिन को और आगे
कोशिश करता रहा उसे भूलने की
पर आज उससे मेरा आलिंगन हो ही गया
और मैं समा गया उसमें
मैं खत्म हो गया और वो अमर
बूझा तुमने मैं हूँ कौन
मैं हूँ जीवन और वो है मृत्यु।