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"मौन की भाषा / कल्पना मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

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18:44, 27 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण

कुछ तो अनकहा रहने दो
कुछ तो हो जो सिर्फ तेरे मेरे दरमियाँ हो
कुछ तो छुपा रहने दो
कुछ तो दबा रहने दो
कभी तो खामोशियों को पढ़ने का अवसर दो
कभी तो आँखो की भाषा पढ़ना भी सीखो
अब बोलने का जी नहीं करता,
चलो मन की बातों को समझना सीखें ।।