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"बरक़त / सुषमा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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ट्रेन की खिड़की से बाहर वह देख रहा था-
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खेत खलिहान और खिली हुई सरसों
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मैं देख रही थी-
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खिड़की के काँच पर उभरता उसका अक्स
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उसने कहा- "यहाँ कितनी बरकत है"
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मैंने कहा "बहुत"
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10:08, 11 अप्रैल 2023 के समय का अवतरण

ट्रेन की खिड़की से बाहर वह देख रहा था-
 खेत खलिहान और खिली हुई सरसों
मैं देख रही थी-
 खिड़की के काँच पर उभरता उसका अक्स
उसने कहा- "यहाँ कितनी बरकत है"
मैंने कहा "बहुत"
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