भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कठपुतली-2 / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatBaalKa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatBaalKavita}}
 
{{KKCatBaalKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
'''इस कविता के दो रूप मिलते हैं। यह रूप बच्चों की हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में प्रकाशित होता रहा है।'''
+
'''इस कविता के दो रूप मिलते हैं। कविता का यह रूप बच्चों की हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में प्रकाशित होता रहा है।'''
  
 
कठपुतली
 
कठपुतली

21:07, 28 मई 2023 के समय का अवतरण

इस कविता के दो रूप मिलते हैं। कविता का यह रूप बच्चों की हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में प्रकाशित होता रहा है।

कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली — ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे - आगे ?
इन्हें तोड़ दो
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो,

सुनकर बोलीं और-और
कठपुतलियाँ
कि हाँ,
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छन्द छुए ।

मगर ...
पहली कठपुतली सोचने लगी —
ये कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी ?