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"अंटार्कटिका का एक हिमखण्ड / अरविन्द श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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अभी खड़ा था
यही कोई लाख वर्षों से
समुद्र की देह पर
चुपचाप
निहार रहा था हमें
हार-थक कर एक झटके में
वह टूटा
पिघला
और मिनटों में खो गया
समुद्र में ।