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"सृजन बिकने नहीं देंगे / उर्मिलेश" के अवतरणों में अंतर

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मगर हम लेखनी का बांकपन बिकने नहीं देंगे।  
 
मगर हम लेखनी का बांकपन बिकने नहीं देंगे।  
 
भले बाग़ी बताओ या हमें फाँसी चढ़ाओ तुम,  
 
भले बाग़ी बताओ या हमें फाँसी चढ़ाओ तुम,  
मगर हम मौत के डर से सर्जन बिकने नहीं देंगे।  
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मगर हम मौत के डर से सृजन बिकने नहीं देंगे।  
  
 
वही हमने लिखा है आज तक जो कुछ सहा हमने
 
वही हमने लिखा है आज तक जो कुछ सहा हमने
 
भला डर कर किसी भी रात को कब दिन कहा हमने
 
भला डर कर किसी भी रात को कब दिन कहा हमने
 
इसी से हम उपेक्षित रह गए उनकी सभाओं में
 
इसी से हम उपेक्षित रह गए उनकी सभाओं में
न उनके साथ महफ़िल में लगाया कहकहा हमने
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न उनके साथ महफ़िल में लगाया कहकहा हमने
  
 
निमंत्रण मिल रहे हैं आज भी सुविधा भरे हमको
 
निमंत्रण मिल रहे हैं आज भी सुविधा भरे हमको
 
मगर तन के लिए खुद्दार मन बिकने नहीं देंगे।  
 
मगर तन के लिए खुद्दार मन बिकने नहीं देंगे।  
 
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17:30, 6 जुलाई 2023 के समय का अवतरण

भले ही तुम प्रलोभन दो हमें अपनी कृपाओं के,
मगर हम लेखनी का बांकपन बिकने नहीं देंगे।
भले बाग़ी बताओ या हमें फाँसी चढ़ाओ तुम,
मगर हम मौत के डर से सृजन बिकने नहीं देंगे।

वही हमने लिखा है आज तक जो कुछ सहा हमने
भला डर कर किसी भी रात को कब दिन कहा हमने
इसी से हम उपेक्षित रह गए उनकी सभाओं में
न उनके साथ महफ़िल में लगाया कहकहा हमने ।

निमंत्रण मिल रहे हैं आज भी सुविधा भरे हमको
मगर तन के लिए खुद्दार मन बिकने नहीं देंगे।