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"दायित्व/ अनीता सैनी" के अवतरणों में अंतर

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जो इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं
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परंतु विद्रोही है
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इसका स्वयं पर अंकुश नहीं है
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तुम्हारी तरह, उसने कहा।
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उसकी आँखों से टपकते
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आँसुओं की स्याही से भीगा हृदय
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उसी पल कविता मन पड़ी थी मेरे
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सिसकते भावों को ढाँढ़स बँधाया
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कुछ पल उसका दर्द जिया
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उसकी जगह
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खड़े होने की हिम्मत नहीं थी मुझ में
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मैंने ख़ुद से कहा-
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मैं अति संवेदनशील हूँ!
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और अगले ही पल
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मैंने अपना दायित्वपूर्ण किया!
  
 
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00:33, 7 जुलाई 2023 के समय का अवतरण

मुझे सुखाया जा रहा है
सड़क के उस पार खड़े वृक्ष की तरह
ठूँठ पसंद हैं इन्हें
वृक्ष नहीं!
वृक्ष विद्रोह करते हैं!
जो इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं
समय शांत दिखता है
परंतु विद्रोही है
इसका स्वयं पर अंकुश नहीं है
तुम्हारी तरह, उसने कहा।
उसकी आँखों से टपकते
आँसुओं की स्याही से भीगा हृदय
उसी पल कविता मन पड़ी थी मेरे
सिसकते भावों को ढाँढ़स बँधाया
कुछ पल उसका दर्द जिया
उसकी जगह
खड़े होने की हिम्मत नहीं थी मुझ में
मैंने ख़ुद से कहा-
मैं अति संवेदनशील हूँ!
और अगले ही पल
मैंने अपना दायित्वपूर्ण किया!