भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेम में-1 / निशांत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशांत |संग्रह= }} <Poem> एक धूसर रंग धमनियों में उतर...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:26, 15 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण
एक धूसर रंग
धमनियों में उतरता चला जाता है
भीतर
एक चोर बैठा रहता है
आस्माँ पर
चांद उतर आता है ।