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"गेंदे के फूल / देवेन्द्र कुमार" के अवतरणों में अंतर

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गेंदे के फूल खिले
खिले फूल गेंदे के ।

टूसे थे पात हुए
जन-जन के हाथ हुए
अपनी तो पूंजी है
इतनी-सी, ले-दे के ।

जो भी थे सह सवार
मौसम के खुशगवार
निकले बे पेंदे के ।