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(दिनेश रघुवंशी चीन रवाना)
(दिनेश रघुवंशी चीन रवाना)
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कविवर श्री दिनेश रघुवंशी अपनी एक सप्ताह की काव्य यात्रा पर आज चीन के लिये रवाना हो गये । वे इंडियन सोसाईटी, चीन की ओर के आमंत्रण पर चीन गये है । यहाँ बीजिंग व शंघाई मे उनके काव्य पाठ का आयोजन किया गया है । एक सफल काव्य यात्रा के लिये अग्रिम शुभकामनायें ।  
 
कविवर श्री दिनेश रघुवंशी अपनी एक सप्ताह की काव्य यात्रा पर आज चीन के लिये रवाना हो गये । वे इंडियन सोसाईटी, चीन की ओर के आमंत्रण पर चीन गये है । यहाँ बीजिंग व शंघाई मे उनके काव्य पाठ का आयोजन किया गया है । एक सफल काव्य यात्रा के लिये अग्रिम शुभकामनायें ।  
 
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==  अमरीका मे हिन्दी के बढते कदम ==
 
==  अमरीका मे हिन्दी के बढते कदम ==

00:08, 12 नवम्बर 2006 का अवतरण

दिनेश रघुवंशी चीन रवाना

10 नवंबर, 2006 कविवर श्री दिनेश रघुवंशी अपनी एक सप्ताह की काव्य यात्रा पर आज चीन के लिये रवाना हो गये । वे इंडियन सोसाईटी, चीन की ओर के आमंत्रण पर चीन गये है । यहाँ बीजिंग व शंघाई मे उनके काव्य पाठ का आयोजन किया गया है । एक सफल काव्य यात्रा के लिये अग्रिम शुभकामनायें ।


अमरीका मे हिन्दी के बढते कदम

आज विश्व शक्ति का नाम ही अमरीका है । संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यालय भी अमरीका में है, भले ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने हिन्दी को अभी तक स्वीकार नहीं किया है परंतु विश्व शक्ति के आंगन में हिन्दी का छोटा पौधा फल-फूल रहा है । सबसे पहले स्वतंत्रता प्रतीक लिबर्टी प्रतिमा को प्रणाम करता हूँ जिसने यहाँ सभी धर्मो,जातियों और भाषाओं को विकसित होने का समान अवसर प्रदान किया है ।

अमरीका यात्रा के प्रथम पडाव में न्यू जर्सी के प्लेंसबोरो विद्यालय के हिन्दी प्रेमियों से खचाखच भरे सभागार को देखकर मुझे लगा कि वह दिन दूर नहीं जब अमरीका के विद्यालयों में हिन्दी एक भाषा के रूप में पढाई जाएगी । आज हिन्दी-यू.एस.ए. संस्था द्वारा अमरीका में बीस से अधिक हिन्दी विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है । इन विद्यालयों में साप्ताहिक छुट्टियों में बालक अपने अभिभावकों के साथ घंटों का सफर तय करके हिन्दी सीखने आते हैं । वर्ष के अंत में यह सभी बालक हिन्दी महोत्सव के रुप में आकर अपनी हिन्दी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, इस बार यह पंचम हिन्दी महोत्सव का आयोजन हिन्दी यू.एस.ए. ने किया था । प्रातः से ही छोटे-छोटे बालक अपने माता-पिता के साथ सभागार में जुटने लगे थे, लगभग एक हजार क्षमता का हाल कुछ ही देर में खचाखच भर गया और फिर प्राथर्ना के साथ पंचम हिन्दी महोत्सव आरम्भ हुआ। गिनती बोलें , वेष प्रतियोगिता , नाटक व कविता पाठ प्रतियोगिता, नृत्य, भाषण और भारत -दर्शन आदि दिन भर अनेक कार्यक्रम बालकों ने सफलतापूर्वक प्रस्तुत किए । लग रहा था कि सभागार में समस्त भारत उतर आया हो, प्राची और पार्थ ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया ।

धीरे-धीरे दिन ढलता गया और अब मंच पर भारत से आये कवि-कलाकारों को आमंत्रित किया गया । हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव और विश्व प्रसिद्ध चित्रकार कवि बाबा सत्यनारायाण मौर्या के स्वागत में जन समूह उमड रहा था । राजू श्रीवास्तव की प्रस्तुति पर सभागार लगातार ठहाकों और तालियों से गूँज रहा था। राजू के अभिनय में बडी सहजता है, अमिताभ बच्चन को अपना आदर्श मानने वाले राजू जनता के दिलों पर अपनी अदाकारी के अमिट हस्ताक्षर करने में सफल रहे । बाबा सत्यनारायाण मौर्य हिन्दी यू.एस.ए.के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रुप में वर्षों से जुडे हैं । अत: वे हिन्दी यू.एस.ए के स्वयंसेवकों में बहुत लोकप्रिय है । .राजू श्रीवास्तव और मेरे लम्बे काव्य पाठ के बाद रात्रि के लगभग साढे ग्यारह बजे का समय हो गया था लेकिन जनता अभी भी पूरे उत्साह से जमी हुई थी और फिर शुरू हुआ बाबा का लोकप्रिय कार्यक्रम भारत माता की आरती, कानवास पर बाबा के हाथ थिरक रहे थे, संगीत का आभाव था, मैं किसी तरह राजू के साथ मिलकर टूटे-फूटे स्वर में बाबा का सहयोग कर रहा था और देखते ही देखते सभागार में भारत मां की जय के नारे गूँजने लगे । हिन्दी को अमरीका में स्थापित करने के संक्लप के साथ पंचम् हिन्दी महोत्सव संपन्न हुआ । हिन्दी यू.एस.ए के संयोजक श्री देवेंद्र सिंह व उनकी धर्म पत्नी श्रीमती रचिता सिंह साधुवाद के पात्र हैं जिनके नेतृत्व में अनेक स्वयंसेवक जैसे श्रीमती और श्री संदीप अग्रवाल , श्री राज मित्तल , श्रीमती और श्री शैलेंद्र सिहं , श्री ब्रजेश सिहं , श्रीमती और श्री सचिन गर्ग , श्री दिग्विजय म्यूर , श्री त्रृषि गोर, श्रीमती और श्री दुर्गेश गुप्ता हिन्दी सेवा में जुटे हैं ।

यहाँ ओलंपिक सिटी अटलांटा का उल्लेख करना भी मैं जरूरी समझता हूँ , चालीस लाख की आबादी का यह शहर मौसम में दिल्ली जैसा है । यहाँ बडी संख्या में कंप्यूटर इंजिनीयर हैं । श्री शिव अग्रवाल जी द्वारा निर्मित इंडियन ग्लोबल माँल अटलांटा में एक छोटे भारत के रूप में है । सेवा इंटरनेशनल ने यहाँ के सभागार में हास्य के फव्वारे नाम से एक हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया । लखनऊ के एक युवा कवि श्री अभिनव शुक्ला जो कि आजकल अमरीका में ही हैं, उनके काव्य पाठ से कवि सम्मेलन आरंभ हुआ । अभिनव के चुटीले व्यंग्य बाण और आरक्षण पर प्रहार करती कविता ने जनता को प्रभावित किया । कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुझे भी कुछ कविता प्रस्तुत करने का अवसर मिला और फिर आरंभ हुआ बाबा मौर्य द्वारा भारत माँ की आरती का कार्यक्रम । अटलांटा के कार्यकर्ताओं ने संगीत का प्रबंध कर लिया था, अतः बाबा मौर्य के गीतों व संगीत की धुनों के साथ पूरा सभागार भारत माँ की भक्ति में नाचने लगा । इस समारोह को सफल बनाने में श्रीमती और श्री गौरव सिहं एवम् श्रीमती और श्री श्रीकांत जी साधुवाद के पात्र हैं ।


हिन्दी के इस पताका को फहराने में अंतराष्ट्रीय हिन्दी समिति का भी बडा योगदान है । व्यक्तिगत बातचीत में श्री हिमांशु पाठक ने मुझे बताया कि अमरीका के पुस्तकालयों में आजकल हिब्रू , चीनी के साथ-साथ हिन्दी साहित्य पर भी परिचर्चा आयोजित की जा रही है । अब यह अवसर आया है कि भारत सरकार हिन्दी के इन समर्पित कार्यकर्ताओं को साथ लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन अमरीका में आयोजित करने पर विचार करे। अगर अगला विश्व हिन्दी सम्मेलन अमरीका में किया गया तो हिन्दी के इन छोटे-छोटे प्रकलपों को ऊर्जा मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वार पर हिन्दी की एक सश्कत आवाज भी पहुँच सकेगी ।

अमरीका के हिन्दी सेवियों को शत-शत प्रणाम ।




कैम्ब्रिज के पाठयक्रम से हिन्दी को हटाना ।

23 अक्टूबर सोमवार , नई दिल्ली

अक्षरम द्वारा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के पाठयक्रम से हिन्दी हटाये जाने के संदर्भ में “ विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी का भविष्य ” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन में किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री हिमांशु जोशी ने की । डा॰ श्री एल एम सिंघवी और डा॰ सत्येन्द्र श्रीवास्तव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे । डा अशोक चक्रधर, श्रीमती मधु गोस्वामी, डा रमेश गौतम, डा एम पी शर्मा, डा दिविक रमेश, डा प्रेम जनमेजय, डा हरीश नवल, डा विमलेश कांति वर्मा, श्री अनिल जनविजय, श्री विजय कुमार मल्होत्रा और डा राजेश कुमार गोष्ठी के प्रतिभागी थे । डायमंड पाकेट बुक्स वाले श्री नरेन्द्र वर्मा स्वागताध्य्क्ष थे । कार्यक्रम का संचालन श्री अनिल जोशी व श्री राजेश चेतन ने किया ।

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव

12-13-14 जनवरी 2007, नई दिल्ली

परिचय

अक्षरम नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव का आयोजन कर रही है। अक्षरम इससे पूर्व प्रवासी हिंदी उत्सव (2006) और प्रवासी हिंदी कवि सम्मेलनों (2002-2005) का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुकी है। इन कार्यक्रमों में देश-विदेश के साहित्यकार, बुद्धिजीवी और विद्यार्थी भाग लेते हैं। अक्षरम के कार्यक्रम भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार आदि राष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से आयोजित किए जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव में हिंदी से जुड़े ज्वलंत मु्द्दों पर विचार-विमर्श के लिए शैक्षिक सत्र, कवि-सम्मेलन, नाटक, रचनाओं का नाट्य पाठ, साहित्यकारों से भेंट, प्रवासी हिंदी साहित्य आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

उत्सव 2007 – कार्यक्रमों का विवरण

वर्ष 2006 के उत्सव के अवसर पर चर्चा के मुख्य संभावित विषय होंगे विश्व पटल पर हिंदी – इस सत्र में प्रमुख देशों के राजनयिकों के सान्निध्य में विश्व स्तर पर हिंदी की स्थिति का जायजा लिया जाएगा और उसके विकास के उपायों पर चर्चा की जाएगी।

हिंदी के विकास की भावी दिशाएँ – यहाँ भारत के विभिन्न राज्यों के प्रमुख व्यक्तियों (मुख्य मंत्री आदि) के मार्गदर्शन में भारत में हिंदी के विकास की भावी दिशाओं पर विचार-विमर्श होगा, ताकि इस दशा में ठोस कार्य किया जा सके।

कॉरपोरेट जगत और हिंदी – इस सत्र में कॉरपोरेट जगत के हिंदी के प्रति दृष्टिकोण और निकट भविष्य में इस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों पर मनन करके इस क्षेत्र में हिंदी के विकास पर प्रकाश डाला जाएगा।

हिंदी मीडिया का संसार – मीडिया के क्षेत्र में हिंदी भाषा कि स्थिति और भविष्य में होने वाले विकास पर इस सत्र में गहन चर्चा की जाएगी।

हिंदी और प्रौद्योगिकी – यह सत्र प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिंदी की स्थिति को समर्पित है, जिसमें इस बात की छानबीन की जाएगी कि हिंदी के और अधिक विकास में प्रौद्योगिकी का सहयोग कैसे लिया जा सकता है।

हिंदी शिक्षण – विदेशों में हिंदी भाषा के शिक्षण की स्थिति और इस क्षेत्र की अपेक्षाओं पर इस सत्र में विचार-विमर्श होगा, जो हिंदी शिक्षण के आधुनिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगा।

हिंदी अध्ययन और अनुसंधान – हिंदी के क्षेत्र में हो रहे अध्ययन और अनुसंधान तथा इन कार्यों की समस्याओं की पड़ताल इस सत्र का विषय होगा।

हिंदी साहित्य – इस सत्र में हिंदी साहित्य की प्रमुख विधाओं के वर्तमान विकास का परिचय दिया जाएगा और विधा के प्रमुख साहित्यकारों से उनकी रचना का वाचन और उनसे साक्षात्कार का अवसर उपलब्ध करवाया जाएगा।

प्रवासी हिंदी साहित्य - यह सत्र प्रवासी हिंदी साहित्य की वर्तमान प्रवृत्तियों को प्रस्तुत करेगा और प्रमुख प्रवासी हिंदी साहित्यकारों से परिचय का अवसर प्रदान करेगा।

हिंदी सेवी संस्थाएँ – हिंदी के विकास को गति दे रही संस्थाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा प्रस्तुत करना इस सत्र का लक्ष्य होगा।

हिंदी और रोज़गार – हिंदी के क्षेत्र में उपलब्ध रोज़गारों और रोज़गार की समस्याओं का इस सत्र में लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाएगा।

कवि-सम्मेलन – देश-विदेश के प्रमुख कवियों और गीतकारों की ताज़ातरीन रचनाओं की प्रस्तुति।

नाटक – प्रतिष्ठित रंगकर्मियों द्वारा सामाजिक और व्यक्तिगत जटिलताओं की प्रभावशाली प्रस्तुति।

हिंदी-कर्मी सम्मान – हिंदी के क्षेत्र में कार्यरत साधकों के कार्य को मान्यता और सम्मान। कृपया विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें-

संपर्कः

अक्षरम

अनिल जोशी, अध्यक्ष – 09899552099 email: anilhindi@yahoo.com

राजेशकुमार, संयोजक - 09810141250 email: drajeshk@yahoo.com




कृष्ण मित्र को गोलवलकर काव्य पुरस्कार

8 अक्टूबर,2006 संस्कार भारती दिल्ली की ओर से सूर घाट, जमना के तट पर वाल्मिकी जयन्ती व गुरू गोलवलकर जन्म शताब्दी के उपलक्ष में आयोजित शरद स्वागत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । भाजपा के नेता श्री लाल कृष्ण अडवाणी व श्रीमती सुषमा स्वराज ने राष्ट्रीय कवि कृष्ण मित्र को गुरू गोलवलकर काव्य पुरस्कार 2006 से सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में श्री गोविंद व्यास, श्री मुनव्वर राणा, श्री गोपाल अरोडा, श्री कमलेश मौर्य, श्री गजेन्द्र सोलंकी, श्री लाजपत राय विकट, श्रीमती ॠतु गोयल, डा. सुनील जोगी ने काव्य पाठ किया व श्री राजेश चेतन कवि सम्मेलन का सफल संचालन किया । संस्कार भारती के महामंत्री अनुपम भटनागर ने सभी का धन्यवाद किया ।

प्रख्यात गीतकार श्री मधुर शास्त्री नहीं रहे ।

हिन्दी के प्रख्यात गीतकार श्री मधुर शास्त्री जी निधन दिनांक 4 अक्टूबर को अचानक हो गया । 74 वर्षीय श्री शास्त्री हिन्दी मंच के बहुत ही लोकप्रिय गीतकार रहे । अपने जीवन में शास्त्री जी ने 8 काव्य संग्रह हिन्दी साहित्य को दिये । उनके दुखद निधन से हिन्दी साहित्य ने एक महान गीतकार खोया है । शास्त्री जी के चरणों मे विनम्र श्रद्धांजलि ।



'हरियाणा का सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मेलन'

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कैथल,हरियाणा (24 सितंबर,2006) महाराजा अग्रसैन का दिव्य दरबार, भव्य, दिव्य मंच, मंच के एक ओर आगन्तुक अतिथि जिनमें दिल्ली सरकार के लोकप्रिय मंत्री श्री मंगत राम सिंघल व दूसरी ओर सरस्वती पुत्र कविगण, सामने हजारों की जो भीड जो मन्त्र मुग्ध होकर कविता सुनने आई है । हर वर्ष की भाँति एक यादगार काव्य अनुष्ठान आरम्भ हुआ । डा सुनील जोगी, डा मंजु दीक्षित, श्री गजेंद्र सोलंकी, श्री सुनील साहिल, श्री जगबीर राठी व देवेश तिवारी के काव्य पाठ पर जन समुदाय झूम रहा था । दिल्ली के युवा कवि राजेश चेतन कुशलता पूर्वक मंच संचालन कर रहे थे । इस समारोह को सफ़ल बनाने में श्री प्रवीण चौधरी, श्री राजेन्द्र गुप्ता व श्री श्याम सुंदर बंसल का सहयोग रहा ।



हिन्दी का एक लघु दीप - ओमान

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आमंत्रित कविगण होटल अलबूस्तान में


मस्कट ( 8 अक्टूबर ), मस्कट ओमान की राजधानी, सुंदर, सुसस्जित, एक ओर समन्दर,दूसरी ओर पहाड, शापिंग माल, होटल्स, 25 लाख की आबादी के ओमान देश की एक चौथाई जनसंख्या यहां निवास करती है । अगर आपको अंग्रेजी नही आती ना ही अरबी आती तो घबराना नहीं ओमान मे हिन्दी से भी आपका काम बखूबी चलेगा । दिल्ली से अहमदाबाद होते जैसे ही मस्कट पहुँचे इंडियन सोशल क्लब के श्री सी एम सरदार, श्री गजेश धारीवाल , श्री वीर सिंह और श्री एन डी भाटिया ने सपरिवार पुष्पगुच्छों से कवियों का गर्मजोशी से अभिनन्दन किया, ओमानी नागरिक विस्मय से इस समारोह को देख रहे थे । इस लघु समारोह के बाद हास्य आचार्य श्री ओम प्रकाश आदित्य के नेतृत्व में युवा कवियों के दल ने अलग अलग गाडियों में शहर के प्रतिष्ठित होटल रामी की ओर प्रस्थान किया ।

लूलू शापिंग माल में काउंटर संभाले ओमानी लडकियों की सक्रियता देख कर अच्छा लगा, सब तरफ भारतीय परिवेश, भारतीय लोग और हिन्दी, मानो ओमान में नहीं दिल्ली में ही घूम रहें हों । इंडियन स्कूल, मस्कट के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष श्री द्विवेदी ने बताया कि उनके विद्यालय में बालको में हिन्दी पढने का काफी उत्साह है लेकिन अभिभावक जन की हिन्दी उपेक्षा से वे परेशान दिखाई पडे ।

ओमान के सुल्तान के निजी होटल अलबूस्तान का बडा हाल जिसकी क्षमता लगभग 1500 है समय से पूर्व ही खचाखच भर गया था कार्यक्रम के संयोजक सरदार साहब ने बडे चुटीले अंदाज में कवि सम्मेलन के स्वागत सत्र का संचालन करते हुये बताया कवि सम्मेलन को ले कर लोगों में सर्वाधिक उत्साह है, श्रोताओं में केवल भारतीय ही नहीं अपितु ओमानी, पाकिस्तानी व बंगलादेशी भी होते है और फिर शुरु हुआ डा सुनील जोगी के सधे हुये संचालन में कवि सम्मेलन, एक ओर जहॉ लखनऊ के सर्वेश अस्थाना ने अपने सांसद व पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी पर तीखे व्यंग्य बाण छोडे दूसरी ओर राजस्थान के संजय झाला ने सोनिया जी को निशाना बनाया, राजेश चेतन की कविता अमरीका के व्हाईट हाऊस पे तिरंगा को भी लोगों ने पसन्द किया, प्रवीण शुक्ल की भूकम्प त्रासदी कविता के साथ ही हंसी ठहाकों के बीच पहले दौर का कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ।

ठहाकों के बीच दूसरा दौर महेन्द्र अजनबी ने आरम्भ किया, जहां उन्होनें भूत वाली कविता के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं पर तीखा प्रहार किया, वही शायर तह्सीन मुनवर ने शहनाई सम्राट बिसमिल्लाह को याद किया । सुनील जोगी की पत्नी सौन्दर्य कविता पर लोग झूम रहे थे और समापन में आदित्य जी की माडर्न शादी कविता का भी लोगों ने भरपूर आनन्द लिया ।

इंडियन सोशल क्लब, इंडियन स्कूल, भारत के कवि, भारत सरकार और भारत के हिन्दी संगठन यदि मिलकर कार्य करें इस छोटे से देश में हिन्दी का बडा काम हो सकता है । ओमान के हिन्दी प्रेमियों को साधुवाद्।

-राजेश चेतन 9811048542

अय्यप्प पणिक्कर नहीं रहे

अय्यप्प पणिक्कर [1930-2006]

मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि, समीक्षक और दार्शनिक डा अय्यप्प पणिक्कर का २३ अगस्त 2006 को त्रिवेंद्रम में निधन हो गया। वे मलयालम कविता में आधुनिक चेतना के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी उपस्थिति और रचनात्मक प्रतिभा से केवल साहित्य ही नहीं बल्कि केरल के समस्त बुद्धिजीवी समाज को प्रभावित किया।

१२ सितंबर १९३० को कावालम के एक गाँव में जन्मे इस महाकवि की कविताएं 'अय्यप्प पणिक्करुडे कृतिकल‍' शीर्षक से चार भागों में तथा निबंध 'अय्यप्प पणिक्करुडे लेखनङ्ल्' शीर्षक से पांच भागों में संग्रहित हैं।

उन्होंने अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद येल व हार्वर्ड विश्वविद्यालयों में उच्चतर शोध कार्य किया। १९६५ में वे केरल विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक नियुक्त हुए तथा विभागाध्यक्ष बन कर सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अनेक ग्रंथों का कुशल संपादन किया, जिनमें शेक्सपियर के संपूर्ण साहित्य का मलयालम अनुवाद और समस्त मध्ययुगीन भारतीय साहित्य का अंग्रेज़ी अनुवाद अत्यंत महत्वपूर्ण समझे जाते हैं। वे अपने जीवनकाल में अनेक साहित्यिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी भी रहे।

इन विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें देश विदेश के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें एक से अधिक साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार का पद्मश्री [२००४], तथा सरस्वती सम्मान [2006] प्रमुख हैं।

राजेश चेतन काव्य पुरस्कार

डा. रमाकान्त शर्मा पुरस्कार लेते हुए
सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’

भिवानी ८ अगस्त २००६, सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा भिवानी में जन्मे अंतर्राष्ट्रीय कवि श्री राजेश चेतन के जन्मदिन पर उनके नाम से एक पुरस्कार आरंभ किया गया। नेकीराम शर्मा सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री महेन्द्र कुमार, उपायुक्त्त भिवानी मुख्य अतिथि के रुप मे उपस्थित थे व बी टी एम के महाप्रबंधक श्री राजेन्द्र कौशिक ने समारोह की अध्यक्षता की, साहित्य अकादमी हरियाणा के निर्देशक श्री राधेश्याम शर्मा के सान्निध्य व श्री राजेश चेतन की उपस्थिति में युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’ अर्पित किया गया।

पुरस्कार वितरण के बाद एक कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया जिसमें पूज्यसंत मुनि जयकुमार, श्री महेन्द्र शर्मा, श्री गजेन्द्र सोलंकी, डा. रश्मि बजाज, श्रीमती अनीता नाथ तथा अरुण मित्तल ‘अद्भुत’ ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन प्रख्यात कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के महामंत्री श्री जगतनारायण ने किया।

समारोह में सर्वश्री बुद्धदेव आर्य, गिरधर, डा आर डी शर्मा, भारत भूषण जैन, सुरेंद्र जैन, सज्जन एडवोकेट की विशिष्ट उपस्तिथि नें समारोह को गरिमा प्रदान की।