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"मेरा अधर नानी हुँदा / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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20:43, 17 जुलाई 2024 के समय का अवतरण
रातभर हराएको होश फर्केथ्यो बिहानी हुँदा
तिम्रा अधर मदिरा र मेरा अधर नानी हुँदा
सपना थियो वा बिपना, उज्यालो थियो या अँध्यारो
कुन दुनियाँ पुगेथेँ म, तिम्रो काख सिरानी हुँदा
कविको झोँक, प्रेमका बाचा, रोजगारको धमाधम
विचित्रैले बितेछ जीवन, जवानी हुदाँ
चुपचाप दुख्थ्यो भएकै थियो सहन के गाह्रो थ्यो’
कसरी सहूँ मेरा व्यथा अरूलाई कहानी हुँदा
केके न भेटुँला भन्ने थियो, दौडिरहेँ बाँचुन्जेल
भ्रम टुट्यो आज सुमन ! आफ्नै शरीर खरानी हुँदा