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"दो जंगल थे / कात्यायनी" के अवतरणों में अंतर
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दो जंगल थे ।
दोनों में ही आग लगी थी ।
एक ख़ुद जलकर
राख हो रहा था ।
दूसरा बस आग को
जीवित रखे हुए था
अंधेरी बस्तियों के लिए ।
रचनाकाल : जुलाई 1997