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+ | यह कविता जगन्नाथ जोशी की है जो 21 दिसम्बर 1920 को शक्ति पत्रिका(कुमाऊँ) में प्रकाशित हुई थी। इस कविता का प्रयोग जगन्नाथ जोशी के नाम से 'हिन्दी साहित्य को कूर्मांचल की देन' शोध प्रबंध में डॉ. भगत सिंह द्वारा उधृत किया गया है। यह कविता कवि गुमानी के किसी भी संग्रह में प्राप्त नहीं होती है। अतः इस कविता को लोकरत्न गुमानी पंत की रचना न समझा जाए। | ||
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+ | संदर्भ - देखें, पृ. 29-30, हिन्दी साहित्य को कूर्मांचल की देन, डॉ भगत सिंह, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, 1967 | ||
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हटो फिरंगी हटो यहाँ से | हटो फिरंगी हटो यहाँ से | ||
छोड़ो भारत की ममता | छोड़ो भारत की ममता | ||
संभव क्या यह हो सकता है | संभव क्या यह हो सकता है | ||
होगी हम तुममें समता? | होगी हम तुममें समता? | ||
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+ | - जग्गनाथ जोशी | ||
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+ | पूर्ण कविता | ||
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+ | साहस भारत का आया है | ||
+ | कौन हमें अब रोकेगा? | ||
+ | तीर तोप का वार अमर हो | ||
+ | हम सब का हिय सह लेगा | ||
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+ | तांडव होगा रणचंडी का | ||
+ | भारत के भूतों के बीच | ||
+ | डिम्भ तुझी को बनना होगा | ||
+ | ओ अन्यायी आँखें मीच। | ||
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+ | हटो फिरंगी हटो यहाँ से | ||
+ | छोड़ो भारत की ममता | ||
+ | संभव क्या यह हो सकता है | ||
+ | होगी हम तुममें समता? | ||
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+ | - जग्गनाथ जोशी | ||
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13:42, 29 जुलाई 2024 का अवतरण
यह कविता जगन्नाथ जोशी की है जो 21 दिसम्बर 1920 को शक्ति पत्रिका(कुमाऊँ) में प्रकाशित हुई थी। इस कविता का प्रयोग जगन्नाथ जोशी के नाम से 'हिन्दी साहित्य को कूर्मांचल की देन' शोध प्रबंध में डॉ. भगत सिंह द्वारा उधृत किया गया है। यह कविता कवि गुमानी के किसी भी संग्रह में प्राप्त नहीं होती है। अतः इस कविता को लोकरत्न गुमानी पंत की रचना न समझा जाए।
संदर्भ - देखें, पृ. 29-30, हिन्दी साहित्य को कूर्मांचल की देन, डॉ भगत सिंह, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, 1967
हटो फिरंगी हटो यहाँ से
छोड़ो भारत की ममता
संभव क्या यह हो सकता है
होगी हम तुममें समता?
- जग्गनाथ जोशी
पूर्ण कविता
साहस भारत का आया है
कौन हमें अब रोकेगा?
तीर तोप का वार अमर हो
हम सब का हिय सह लेगा
तांडव होगा रणचंडी का
भारत के भूतों के बीच
डिम्भ तुझी को बनना होगा
ओ अन्यायी आँखें मीच।
हटो फिरंगी हटो यहाँ से
छोड़ो भारत की ममता
संभव क्या यह हो सकता है
होगी हम तुममें समता?
- जग्गनाथ जोशी