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"अनुभव-परिपक्व / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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--अच्छा, माँ मुझे खाली मिट्टी दे दो--
 
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मैं कुछ नहीं मांगूंगा :
 
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मले जाने का हठ नहीं ठानूंगा।
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मेले जाने का हठ नहीं ठानूंगा।
 
जो कहोगी मानूंगा।
 
जो कहोगी मानूंगा।
  
 
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08:59, 25 नवम्बर 2008 का अवतरण

माँ हम नहीं मानते--
अगली दीवाली पर मेले से
हम वह गाने वाला टीन का लट्टू
लेंगे हॊ लेंगे--
नहीं, हम नहीं जानते--
हम कुछ नहीं सुनेंगे।

--कल गुड़ियों का मेला है, माँ।
मुझे एक दो पैसे वाली
काग़ज़ की फिरकी तो ले देना।
अच्छा म्मैं लट्टू नहीं मांगता--
तुम बस दो पैसे दे देना।

--अच्छा, माँ मुझे खाली मिट्टी दे दो--
मैं कुछ नहीं मांगूंगा :
मेले जाने का हठ नहीं ठानूंगा।
जो कहोगी मानूंगा।