भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हमारे पास यहाँ / हेनरी मीशॉ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेनरी मीशॉ |संग्रह= }} <Poem> हमारे पास यहाँ, वह बोली, ...)
(कोई अंतर नहीं)

15:33, 25 नवम्बर 2008 का अवतरण

हमारे पास यहाँ,
वह बोली,
केवल एक सूरज मुँह में,
और तनिक देर वास्ते।
हम मलते अपनी आंखें दिनों आगे।
निष्फल लेकिन।
अभेद्य मौसम।
अपने नियत पहर धूप आती केवल।

फिर हमारे पास है करने को चीज़ों की एक दुनिया,
जब तलक रोशनी है वहाँ,
समय हमारे पास बमुश्किल है दरअसल एक दूसरे को दो टुक देखने का।

मुसीबत यह है कि रात पाली है
जब हमें काम करना है,
और हमें, सचमुच करना है:
बौने जन्म लेते हैं लगातार।

अंग्रेज़ी से भाषान्तर : पीयूष दईया
<\Poem>