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"बस चाँद रोएगा / मदन कश्यप" के अवतरणों में अंतर

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|विषय=मदन कश्यप जितने प्रेम के कवि हैं, उतने ही प्रकृति, जीवन राग व संघर्ष के कवि भी। समाज व परिवार, सम्वेदना व करुणा उनमें भरपूर है।
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|विषय=मदन कश्यप की कविता इस लोक को सम्बोधित कविता है। वह इसी छोटे, लेकिन मनुष्य के लिए फिर भी बहुत बड़े लोक को जीना चाहती है। यह देह जो नश्वर है, उसके लिए बहुत कुछ है क्योंकि इसी देह के झरोखे पर बैठकर आँखें उस दुनिया को देखती हैं जिसे अन्तत: हमें जीना है।
 
|शैली=मुक्तछन्द
 
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|पृष्ठ=108
 
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19:22, 8 अप्रैल 2025 का अवतरण

बस चाँद रोएगा
Bas chaand roega - madan kashyap.jpg
रचनाकार मदन कश्यप
प्रकाशक राजकमल प्रकाशन
वर्ष 2025
भाषा हिन्दी
विषय मदन कश्यप की कविता इस लोक को सम्बोधित कविता है। वह इसी छोटे, लेकिन मनुष्य के लिए फिर भी बहुत बड़े लोक को जीना चाहती है। यह देह जो नश्वर है, उसके लिए बहुत कुछ है क्योंकि इसी देह के झरोखे पर बैठकर आँखें उस दुनिया को देखती हैं जिसे अन्तत: हमें जीना है।
विधा मुक्तछन्द
पृष्ठ 108
ISBN
विविध
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