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"बस चाँद रोएगा / मदन कश्यप" के अवतरणों में अंतर
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19:22, 8 अप्रैल 2025 का अवतरण
बस चाँद रोएगा

रचनाकार | मदन कश्यप |
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प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन |
वर्ष | 2025 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | मदन कश्यप की कविता इस लोक को सम्बोधित कविता है। वह इसी छोटे, लेकिन मनुष्य के लिए फिर भी बहुत बड़े लोक को जीना चाहती है। यह देह जो नश्वर है, उसके लिए बहुत कुछ है क्योंकि इसी देह के झरोखे पर बैठकर आँखें उस दुनिया को देखती हैं जिसे अन्तत: हमें जीना है। |
विधा | मुक्तछन्द |
पृष्ठ | 108 |
ISBN | |
विविध |
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