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"कछुआ / बालस्वरूप राही" के अवतरणों में अंतर
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मुंह अंदर करता कछुआ। | मुंह अंदर करता कछुआ। |
22:15, 22 मई 2025 के समय का अवतरण
हम बच्चे डरते कछुए से,
पर हम से डरता कछुआ।
छूए अगर कोई तो झटपट
मुंह अंदर करता कछुआ।
ढीलमढील अंग हैं सारे,
पत्थर-सी हैं पीठ मगर!
इतना सुस्त, चले दो मोटर
दिन-भर चलता रहे अगर!