भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"! / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमन पोखरेल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
{{KKCatNepaliRachna}}
 
{{KKCatNepaliRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
! अथ अद्भुत अघोर आश्चर्य !
+
अथ अद्भुत अघोर आश्चर्य !
  
 
भव भोकले भग्न  
 
भव भोकले भग्न  

10:54, 6 जून 2025 के समय का अवतरण

अथ अद्भुत अघोर आश्चर्य !

भव भोकले भग्न
नागरिक नित्य नग्न !

वृहद् विशाल विष्मय !

अपर्झट अगाडि आगोझैँ, अथवा
असिनाझैँ अचानक अगाडि,
जनता जाग्छ जुरुक्क जरामा
टक्टक्याउन टपरटुइँया टाउकेको टाउको ।

राज्य रातो रगतझैँ र
शासक सन्काहा स्वाँठ
कुण्ठित क्रुर कुल्च्याइ !

प्रतिरोध, प्रतिरोध, प्रतिरोध !
 
शासित सडकमा शहिद !

धरधर धर्मराउँछ धरमर धरती
पुनरावृत्ति पुनरावृत्ति पुनरावृत्ति !

अहो !
 
इति, इति, इति !
आश्चर्य इति !!
इति आश्चर्यः !!!