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"सावन की अगवानी / शिवजी श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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रुनझुन- रुनझुन नाचें
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पवन झकोरे
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दिशा- दिशा में
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नेग गंध के  बाँटें
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राग किसी ने बिरहा छेड़ा
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जागी पीर पुरानी।
  
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मृदुल लताएँ  पेड़ों से
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गलबहियाँ करने भागें
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सूखे  ठूँठों के भीतर भी
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सरस कोंपले झाँकें 
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इठलाकर चलती हैं नदियाँ
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सब पर चढ़ी जवानी।
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होरी की चिंता-
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कैसे ये बीतेंगे चौमासे
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भीगी कथरी, टूटा छप्पर
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कब तक होंगे फाके।
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सब कुछ बदला; किंतु न बदली
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उसकी रामकहानी।
 
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10:29, 15 जुलाई 2025 के समय का अवतरण

ढोल बजाकर मेघ कर रहे
सावन की अगवानी

झर- झर झरती बूँदें भू पर
रुनझुन- रुनझुन नाचें
पवन झकोरे
दिशा- दिशा में
नेग गंध के बाँटें
राग किसी ने बिरहा छेड़ा
जागी पीर पुरानी।

मृदुल लताएँ पेड़ों से
गलबहियाँ करने भागें
सूखे ठूँठों के भीतर भी
सरस कोंपले झाँकें
इठलाकर चलती हैं नदियाँ
सब पर चढ़ी जवानी।

होरी की चिंता-
कैसे ये बीतेंगे चौमासे
भीगी कथरी, टूटा छप्पर
कब तक होंगे फाके।
सब कुछ बदला; किंतु न बदली
उसकी रामकहानी।