"के० सच्चिदानंदन / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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सच्चिदानंदन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों से प्राप्त की। उन्होंने क्राइस्ट कॉलेज, इरिन्जालाकुडा से जीवविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर महाराजा कॉलेज, एरणाकुलम से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कालीकट विश्वविद्यालय से पोस्ट-स्ट्रक्चरलिस्ट साहित्य सिद्धांत में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। | सच्चिदानंदन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों से प्राप्त की। उन्होंने क्राइस्ट कॉलेज, इरिन्जालाकुडा से जीवविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर महाराजा कॉलेज, एरणाकुलम से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कालीकट विश्वविद्यालय से पोस्ट-स्ट्रक्चरलिस्ट साहित्य सिद्धांत में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। | ||
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'''🖋️ साहित्यिक योगदान''' | '''🖋️ साहित्यिक योगदान''' | ||
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के. सच्चिदानंदन ने मलयालम में 30 कविता संग्रह, अंग्रेज़ी में 9 और अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में 33 कविता संग्रह प्रकाशित किए हैं। उनकी कविताएँ हिंदी, तमिल, बांग्ला, उर्दू, अरबी, चीनी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, स्पेनिश, जापानी और आयरिश जैसी भाषाओं में अनूदित हुई हैं। उनकी कविताएँ "द डांस ऑफ़ द पीकॉक" और "एंथोलॉजी ऑफ़ कंटेम्परेरी इंडियन पोएट्री" जैसी प्रतिष्ठित काव्य संकलनों में शामिल हैं। | के. सच्चिदानंदन ने मलयालम में 30 कविता संग्रह, अंग्रेज़ी में 9 और अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में 33 कविता संग्रह प्रकाशित किए हैं। उनकी कविताएँ हिंदी, तमिल, बांग्ला, उर्दू, अरबी, चीनी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, स्पेनिश, जापानी और आयरिश जैसी भाषाओं में अनूदित हुई हैं। उनकी कविताएँ "द डांस ऑफ़ द पीकॉक" और "एंथोलॉजी ऑफ़ कंटेम्परेरी इंडियन पोएट्री" जैसी प्रतिष्ठित काव्य संकलनों में शामिल हैं। | ||
'''🏆 पुरस्कार और सम्मान''' | '''🏆 पुरस्कार और सम्मान''' | ||
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उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं: | उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं: | ||
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साहित्य अकादमी पुरस्कार (2004) | साहित्य अकादमी पुरस्कार (2004) | ||
वायलार पुरस्कार (2005) | वायलार पुरस्कार (2005) | ||
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'''🌍 अंतरराष्ट्रीय पहचान''' | '''🌍 अंतरराष्ट्रीय पहचान''' | ||
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सच्चिदानंदन की कविताएँ दुनिया भर के साहित्यिक महोत्सवों और पुस्तक मेलों में प्रस्तुत की गई हैं। उन्होंने लंदन, पेरिस, फ्रैंकफर्ट, बर्लिन, साराजेवो, मास्को, बीजिंग, शंघाई, दमिश्क, दुबई, दिल्ली, मुंबई, लाहौर, मेडेलिन, कैरेकस, लीमा और हवाना जैसे शहरों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। | सच्चिदानंदन की कविताएँ दुनिया भर के साहित्यिक महोत्सवों और पुस्तक मेलों में प्रस्तुत की गई हैं। उन्होंने लंदन, पेरिस, फ्रैंकफर्ट, बर्लिन, साराजेवो, मास्को, बीजिंग, शंघाई, दमिश्क, दुबई, दिल्ली, मुंबई, लाहौर, मेडेलिन, कैरेकस, लीमा और हवाना जैसे शहरों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। | ||
'''✍️ संपादन और अनुवाद कार्य''' | '''✍️ संपादन और अनुवाद कार्य''' | ||
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सच्चिदानंदन ने भारतीय साहित्य पत्रिका के संपादक के रूप में कार्य किया और गुफ्तगू तथा वन ओवर द एटथ जैसी ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिकाओं के सह-संपादक भी हैं। उन्होंने कई एशियाई और यूरोपीय भाषाओं से मलयालम में अनुवाद कार्य किया है। | सच्चिदानंदन ने भारतीय साहित्य पत्रिका के संपादक के रूप में कार्य किया और गुफ्तगू तथा वन ओवर द एटथ जैसी ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिकाओं के सह-संपादक भी हैं। उन्होंने कई एशियाई और यूरोपीय भाषाओं से मलयालम में अनुवाद कार्य किया है। | ||
'''🧭 सामाजिक और साहित्यिक दृष्टिकोण''' | '''🧭 सामाजिक और साहित्यिक दृष्टिकोण''' | ||
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सच्चिदानंदन सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार और मुक्त स्रोत सॉफ़्टवेयर के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कविता को कला के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चेतना के रूप में देखा है। उनका मानना है कि कविता एक शक्ति है जो समाज में बदलाव ला सकती है। | सच्चिदानंदन सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार और मुक्त स्रोत सॉफ़्टवेयर के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कविता को कला के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चेतना के रूप में देखा है। उनका मानना है कि कविता एक शक्ति है जो समाज में बदलाव ला सकती है। | ||
'''📺 फिल्म और मीडिया''' | '''📺 फिल्म और मीडिया''' | ||
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उन पर आधारित एक वृत्तचित्र "समर रेन" (2007) में उनकी कविताओं और जीवन के पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है। | उन पर आधारित एक वृत्तचित्र "समर रेन" (2007) में उनकी कविताओं और जीवन के पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है। | ||
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18:45, 7 सितम्बर 2025 के समय का अवतरण
के. सच्चिदानंदन भारतीय साहित्य के प्रमुख मलयालम कवि, आलोचक, निबंधकार, नाटककार, अनुवादक और संपादक हैं। उनका जन्म 28 मई 1946 को केरल राज्य के त्रिशूर जिले के पुल्लूट गांव में हुआ था। उनकी रचनाएँ मलयालम और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में हैं।
📚 शिक्षा और साहित्यिक यात्रा:
सच्चिदानंदन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों से प्राप्त की। उन्होंने क्राइस्ट कॉलेज, इरिन्जालाकुडा से जीवविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर महाराजा कॉलेज, एरणाकुलम से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कालीकट विश्वविद्यालय से पोस्ट-स्ट्रक्चरलिस्ट साहित्य सिद्धांत में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।
कविता लेखन की शुरुआत उन्होंने 11 वर्ष की आयु में की थी। उनकी पहली कविता 1965 में प्रकाशित हुई। उनकी कविता में राजनीतिक और नैतिक संवेदनशीलता, बौद्धिकता, और भावनात्मकता का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है।
🖋️ साहित्यिक योगदान
के. सच्चिदानंदन ने मलयालम में 30 कविता संग्रह, अंग्रेज़ी में 9 और अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में 33 कविता संग्रह प्रकाशित किए हैं। उनकी कविताएँ हिंदी, तमिल, बांग्ला, उर्दू, अरबी, चीनी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, स्पेनिश, जापानी और आयरिश जैसी भाषाओं में अनूदित हुई हैं। उनकी कविताएँ "द डांस ऑफ़ द पीकॉक" और "एंथोलॉजी ऑफ़ कंटेम्परेरी इंडियन पोएट्री" जैसी प्रतिष्ठित काव्य संकलनों में शामिल हैं।
🏆 पुरस्कार और सम्मान
उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
साहित्य अकादमी पुरस्कार (2004)
वायलार पुरस्कार (2005)
मुत्तथु वर्की पुरस्कार (2015)
कुसुमाग्रज पुरस्कार
कवि सम्राट उपेन्द्र भान्जा पुरस्कार
कुवेम्पु पुरस्कार
एझुथाच्छन पुरस्कार (केरल में लेखक के लिए सर्वोच्च पुरस्कार)
टाटा लाइफटाइम पोएट लॉरिएट पुरस्कार
मथृभूमि पुरस्कार
इंटरनेशनल पोएट्री फॉर पीस पुरस्कार (यूएई से)
इटली सरकार से नाइटहुड
पोलैंड सरकार से इंडो-पोलिश फ्रेंडशिप मेडल
🌍 अंतरराष्ट्रीय पहचान
सच्चिदानंदन की कविताएँ दुनिया भर के साहित्यिक महोत्सवों और पुस्तक मेलों में प्रस्तुत की गई हैं। उन्होंने लंदन, पेरिस, फ्रैंकफर्ट, बर्लिन, साराजेवो, मास्को, बीजिंग, शंघाई, दमिश्क, दुबई, दिल्ली, मुंबई, लाहौर, मेडेलिन, कैरेकस, लीमा और हवाना जैसे शहरों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
✍️ संपादन और अनुवाद कार्य
सच्चिदानंदन ने भारतीय साहित्य पत्रिका के संपादक के रूप में कार्य किया और गुफ्तगू तथा वन ओवर द एटथ जैसी ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिकाओं के सह-संपादक भी हैं। उन्होंने कई एशियाई और यूरोपीय भाषाओं से मलयालम में अनुवाद कार्य किया है।
🧭 सामाजिक और साहित्यिक दृष्टिकोण
सच्चिदानंदन सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार और मुक्त स्रोत सॉफ़्टवेयर के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कविता को कला के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चेतना के रूप में देखा है। उनका मानना है कि कविता एक शक्ति है जो समाज में बदलाव ला सकती है।
📺 फिल्म और मीडिया
उन पर आधारित एक वृत्तचित्र "समर रेन" (2007) में उनकी कविताओं और जीवन के पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है।