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""कब मर रहे हैं?" / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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हमारे एक मित्र हैं
 
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रहने वाले हैं रीवां के
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रहने वाले हैं रीवाँ के
 
एजेंट हैं बीमा के
 
एजेंट हैं बीमा के
 
मिलते ही पूछेंगे-"बीमा कब कर रहे हैं।"
 
मिलते ही पूछेंगे-"बीमा कब कर रहे हैं।"
 
मानो कहते हो-"कब मर रहे हैं?"
 
मानो कहते हो-"कब मर रहे हैं?"
 
फिर धीरे से पूछेंगे-"कब आऊँ
 
फिर धीरे से पूछेंगे-"कब आऊँ
कहिए तो दो फोर्म लाऊँ
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कहिए तो दो फ़ार्म लाऊँ
 
पत्नी का भी करवा लीजिए
 
पत्नी का भी करवा लीजिए
एक साथ दो दो रिस्क कव्हर कीजिए
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एक साथ दो-दो रिस्क कव्हर कीजिए
 
आप मर जाएँ तो उन्हे फायदा
 
आप मर जाएँ तो उन्हे फायदा
 
वो मर जाएँ
 
वो मर जाएँ
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शाम को घर पहुंचे
 
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तो टेबिल पर उन्ही का पत्र रखा था
 
तो टेबिल पर उन्ही का पत्र रखा था
लिखा था - "फर्म छोड़े जा रहा हूँ
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लिखा था - "फ़ार्म छोड़े जा रहा हूँ
 
सोच समझकर भर दीजिए
 
सोच समझकर भर दीजिए
 
प्रीमियम के पैसे
 
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कि जीवन-बीमा वाले
 
कि जीवन-बीमा वाले
 
याद करेंगे जीवन भर
 
याद करेंगे जीवन भर
एक-एक उत्तर मे झूल जएंगे
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बीमा करना ही भूल जएंगे
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बीमा करना ही भूल जाएंगे
  
 
प्रश्न था-"नाम?"
 
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  शराब, गांजा, अफ़ीम
 
  शराब, गांजा, अफ़ीम
 
  मीठा लगता है नीम।"
 
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-"कोई बीमाती है?"
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-"कोई बीमारी है?"
 
-"हाँ, दिल की
 
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   उधरी के बिल की
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   उधारी के बिल की
 
   होती है धड़धड़ाहट
 
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   पेट में गड़हड़ाहट
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   माथे में भनभनाहट
 
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   पैरो में सनसनाहट
 
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-"कोई दुश्मन है?"
 
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-"हाँ है
 
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   एजेंट बीमा का।"
 
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कि आपका केस
 
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रजिस्टर हो गया है इसी वर्ष।"  
 
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10:36, 29 नवम्बर 2008 का अवतरण

हमारे एक मित्र हैं
रहने वाले हैं रीवाँ के
एजेंट हैं बीमा के
मिलते ही पूछेंगे-"बीमा कब कर रहे हैं।"
मानो कहते हो-"कब मर रहे हैं?"
फिर धीरे से पूछेंगे-"कब आऊँ
कहिए तो दो फ़ार्म लाऊँ
पत्नी का भी करवा लीजिए
एक साथ दो-दो रिस्क कव्हर कीजिए
आप मर जाएँ तो उन्हे फायदा
वो मर जाएँ
तो आपका फायदा।"
अब आप ही सोचिए
मरने के बाद
क्या फ़ायदा
और क्या घाटा

एक दिन बाज़ार में मिल गए
हमें देखते ही पिल गए
बोले-"चाय पीजिये।"
हमने कहा-"रहने दीजिए।"
वे बोले-"पान खाइए।"
हमने कहा-"बस, आप ही पाइए।"

शाम को घर पहुंचे
तो टेबिल पर उन्ही का पत्र रखा था
लिखा था - "फ़ार्म छोड़े जा रहा हूँ
सोच समझकर भर दीजिए
प्रीमियम के पैसे
बहिन जी से ले जा रहा हूँ
रसीद उन्हे दे जा रहा हूँ
फ़ार्म के साथ
प्रश्नावली भी नथ्थी थी
फ़ार्म क्या था
अच्छी खासी जन्मपत्री थी
हमने तय किया
प्रश्नो के देंगे
ऐसे उत्तर
कि जीवन-बीमा वाले
याद करेंगे जीवन भर
एक-एक उत्तर मे झूल जाएंगे
बीमा करना ही भूल जाएंगे

प्रश्न था-"नाम?"
हमने लिख दिया-"बदनाम।"
-"काम"
-"बेकाम।"
-"आयु?"
-"जाने राम।"
-"निवास स्थान?"
-"हिन्दुस्तान।"
-"आमदनी?"
-"आराम हराम।"
-"ऊचाँई?"
-"जो होनी चहिए।"
-"वज़न?"
-"ऊचाँई के मान से।"
-"सीना"
-"नहीं आता।"
-"कमर?"
-"सीने के मान से।"
-"कोई खराब आदत?"
-"हाँ है
 शराब, गांजा, अफ़ीम
 मीठा लगता है नीम।"
-"कोई बीमारी है?"
-"हाँ, दिल की
  उधारी के बिल की
  होती है धड़धड़ाहट
  पेट में गड़गड़ाहट
  माथे में भनभनाहट
  पैरो में सनसनाहट
  डॉक्टर कहता है-'टी.बी.' है।
  और सबसे बड़ी बीमारी
  हमारी बीबी है।"
-"कोई दुश्मन है?"
-"हाँ है
  निवासी रीवाँ का
  एजेंट बीमा का।"

भर कर भेज दिया फ़ार्म
इस इम्प्रेशन में
कि भगदड़ मच जाएगी कारपोरेशन में
मगर सात दिन बाद
सधन्यवाद
पत्र प्राप्त हुआ-
"आपको सूचित करते हुए
होता है हर्ष
कि आपका केस
रजिस्टर हो गया है इसी वर्ष।"