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"लहर / लालसिंह दिल" के अवतरणों में अंतर

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18:35, 30 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

वह साँवली औरत
जब कभी ख़ुशी में भरी कहती है--
"मैं बहुत हरामी हूँ !"
वह बहुत कुछ झोंक देती है
मेरी तरह
तारकोल के नीचे जलती आग में
तस्वीरें
क़िताबें
अपनी जुत्ती का पाँव
बन रही छत
और
ईंटें ईंटें ईंटें

मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद :