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"लहर / लालसिंह दिल" के अवतरणों में अंतर
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वह साँवली औरत
जब कभी ख़ुशी में भरी कहती है--
"मैं बहुत हरामी हूँ !"
वह बहुत कुछ झोंक देती है
मेरी तरह
तारकोल के नीचे जलती आग में
तस्वीरें
क़िताबें
अपनी जुत्ती का पाँव
बन रही छत
और
ईंटें ईंटें ईंटें
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद :