भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आयेगा कोई न कोई / विश्वनाथप्रसाद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=फिर भी कुछ रह जा...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:28, 1 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण
आयेगा कोई न कोई
दिग्भ्रमित बालक जरूर
किसी शताब्दी में
अंधेरे में टटोलता अपनी राह
स्पर्श से पहचान लेना उसे
आहिस्ते आहिस्ते खोलना अपना हृदय
जिसमें सोया है अनन्त समय
और थका हुआ सत्य
दबा हुआ गुस्सा
और गूंगा प्यार
दुश्मनों के जासूस
पकड़ नहीं सके जिसे