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"नसीब लोकतंत्र का / शिवकुटी लाल वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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21:57, 5 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण
कीलें बिल्कुल ठीक जड़ी गई हैं
एक कील मेरे सिर के बीचोंबीच जड़ी गई है
दो कीलें मेरी आँखों में
दो कीलें मेरी दोनों हथेलियों में
मेरे पीछे एक चिकना सलीब
मेरे पैरों में दो कीलें ठुकी हुई हैं
समझ में नहीं आता
कि मेरी जीभ में कील क्यों नहीं ठोंकी गई
लोकतन्त्र का नसीब
क्या धँसी हुई कीलों के बीच जीता है?