भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"धनबाद / संजय चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय चतुर्वेदी |संग्रह=प्रकाशवर्ष / संजय चतुर्...)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:11, 10 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण

कोयला दबा है धरती के नीचे
पत्थर तोड़ता है आदमी अपनी हड्डियों से
खोदकर निकालता है
युगों की गर्मी
जलता है उसमें
रात उसके सपनों में आती हैं बन्दूकें
गाड़ियाँ निकल जाती हैं सर्र से आतंक की
पास ही पक रही हैं रोटियाँ
कोयले के साथ जल रहा है लोहा

कोयले में दबे लोग
निकाल रहे हैं कोयला
आदमी को कोयला बना रहा है आदमी।