भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"घर / पीयूष दईया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पीयूष दईया |संग्रह= }} <Poem> "अचानक से एक बच्चा रखता ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:53, 13 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण

"अचानक से एक बच्चा
रखता है तीन पत्थर
और कहता है--
यह मेरा घर है।"

मैं नहीं चाहता मेरे
बच्चे भी कभी रखें-
तीन पत्थर।