भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भ्रम / विश्वनाथप्रसाद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह= }} <Poem> एक बहुत बड़...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:38, 14 दिसम्बर 2008 का अवतरण
एक बहुत बड़ा भ्रम
बन गया है मेरा विश्वास
नश्वर हूँ फिर भी
रोज़-रोज़ करता हूँ
अमरत्व के प्रयास।