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"है नमन उनको / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर

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है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर
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    मेरी यह कविता आप के बलिदान के सामने कुछ भी नहीं ... बस एक प्रणाम भर है मेरी पीढी का और हिंदी कविता का ....  आप के चरणों में शत शत नमन .... आप सदा हमारे हीरो रहेंगे ...
 
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है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर  
इस जगत के शऔर्य की जीवित कहानी हो गये
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इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
 
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है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय  
है नमन उनको   की जिनके सामने बऔना हिमालय
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जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं  
 
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है नमन उस देहरी पको जिस पर तुम खेले कन्हैया  
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
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घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
 
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है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय ....
 
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हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ  
पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा
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हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है  
 
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नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी  
माँ वही जो दूध से इस देश की रज तोल आई
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सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे  
 
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शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है  
बहन जिसने सावनों मे भर लिया पतझड स्वँय ही
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जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी  
 
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उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है  
हाथ ना उलझ जाऐ, कलाई से जो राखी खोल लाई
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बेटियाँ जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रही थी
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'पिता तुम पर गर्व है ' चुपचाप जाकर बोल आईं
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प्रिया जिसकी चूडियों मे सितारे से टूटतें हैं
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माँग का सिंदूर देकर जो सितारें मोल लाई
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है नमन उस देहरी पको जिस पर तुम खेले कन्हैया
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घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये
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है नमन उनको की जिनके सामने बऔना हिमालय
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जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
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हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ
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हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
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नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
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है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन  
 
है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन  
 
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काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं
काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये
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है नमन उनको की जिनके सामने बोना हिमालय  
 
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जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं
है नमन उनको की जिनके सामने बोना हिमालय
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लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे  
 
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विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है  
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
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राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं  
 
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देशहित प्रतिबद्ध यौवन कै सपन तुमको नमन है  
 
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बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे  
 
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पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है  
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
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है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन  
 
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शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये
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कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,  
 
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राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है  
 
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है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय  
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जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
 
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये

03:30, 28 दिसम्बर 2008 का अवतरण


   मेरी यह कविता आप के बलिदान के सामने कुछ भी नहीं ... बस एक प्रणाम भर है मेरी पीढी का और हिंदी कविता का ....  आप के चरणों में शत शत नमन .... आप सदा हमारे हीरो रहेंगे ...

है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं है नमन उस देहरी पको जिस पर तुम खेले कन्हैया घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय .... हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं है नमन उनको की जिनके सामने बोना हिमालय जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं देशहित प्रतिबद्ध यौवन कै सपन तुमको नमन है बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने, राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये