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'स्वेत-स्याम-रतनार' अँखिया निहार के
'स्वेत-स्याम-रतनार' अंखिया निहार के
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सिण्डकेटी प्रभुओं की पग-धूर झार के
 
सिण्डकेटी प्रभुओं की पग-धूर झार के
 
 
लौटे हैं दिल्ली से कल टिकट मार के
 
लौटे हैं दिल्ली से कल टिकट मार के
 
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खिले हैं दाँत ज्यों दाने अनार के
खिले हैं दांत ज्यों दाने अनार के
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आए दिन बहार के !
 
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आये दिन बहार के !
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बन गया निजी काम-
 
बन गया निजी काम-
 
 
दिलाएंगे और अन्न दान के, उधार के
 
दिलाएंगे और अन्न दान के, उधार के
 
 
टल गये संकट यू.पी.-बिहार के
 
टल गये संकट यू.पी.-बिहार के
 
 
लौटे टिकट मार के
 
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आए दिन बहार के !
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सपने दिखे कार के
 
सपने दिखे कार के
 
 
गगन-विहार के
 
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सीखेंगे नखरे, समुन्दर-पार के
 
सीखेंगे नखरे, समुन्दर-पार के
 
 
लौटे टिकट मार के
 
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आए दिन बहार के !
  
आये दिन बहार के !
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रचनाकाल : 1966
 
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१९६६ में लिखी गई
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11:17, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण

'स्वेत-स्याम-रतनार' अँखिया निहार के
सिण्डकेटी प्रभुओं की पग-धूर झार के
लौटे हैं दिल्ली से कल टिकट मार के
खिले हैं दाँत ज्यों दाने अनार के
आए दिन बहार के !

बन गया निजी काम-
दिलाएंगे और अन्न दान के, उधार के
टल गये संकट यू.पी.-बिहार के
लौटे टिकट मार के
आए दिन बहार के !

सपने दिखे कार के
गगन-विहार के
सीखेंगे नखरे, समुन्दर-पार के
लौटे टिकट मार के
आए दिन बहार के !

रचनाकाल : 1966