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"ब्लेड / प्रेमलता वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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21:58, 30 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण

टूटे दाँत की तरह
इन्सानियत का झूठ
पराजय की उर्वर माटी में
जुगनू डाल देता है।

रंगमंच पर एक कठपुतली महज़
रही थी ताक मेज़ पर रखा
रंगारंग फूलों का गुलदस्ता
जिसे अपनी मुद्राओं से
सूंघ गए थे दर्शक।

बाहर धारोधार बरसात
बढ़ा रही स्तब्धता
क्या यह दिन
ब्लेड बनने की दिशा में है?