भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जब-जब जन्म लूंगा / नवल शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवल शुक्ल |संग्रह=दसों दिशाओं में / नवल शुक्ल }} <P...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:49, 2 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
जब-जब जन्म लूंगा
कुछ नहीं काटूंगा
केक तो कतई नहीं
एक पेड़ लगाऊंगा।
कुछ नहीं बुझाऊंगा
रोशनी तो कतई नहीं
दिशा बन जाऊंगा।
कुछ नहीं फोड़ूंगा
बैलून तो कतई नहीं
मन बनाऊंगा।
बिल्कुल नहीं नाचूंगा
न लगाऊंगा ठहाके
हो सका तो
छूट गई जगहों
और भूल गए लोगों की अनुपस्थिति
धीरे-धीरे सहलाऊंगा।