भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ये बूंदे नहीं... / कुसुम जैन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुसुम जैन |संग्रह= }} <Poem> बरस पड़े बादल टूट गया धीर...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:35, 2 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
बरस पड़े बादल
टूट गया धीरज
उतर पड़ा आसमान
धरती को चूमने
ये बूंदें नहीं
होंठ हैं आसमान के