भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नहीं जाएंगे / नवल शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवल शुक्ल |संग्रह=दसों दिशाओं में / नवल शुक्ल }} <P...)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:58, 3 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

नहीं जाएंगे, नहीं जाएंगे
जाते हो जाओ
हम नहीं जाएंगे।

नाचेंगे, नाचेंगे
नाचेंगे, गाएंगे
सुबह होगी, सुबह देखेंगे।

पेड़ देखेंगे, पहाड़ देखेंगे
चुपचाप सुबह
आकाश देखेंगे।

वे पेड़ कटेंगे
पहाड़ तरसेंगे
नदी, दौड़-दौड़ हम इन्हें छुएंगे।

ठहरेगा कोई
कोई तो देखे कोई
आते हो आओ
हम नहीं जाएंगे।