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"हालात / नवल शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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12:11, 3 जनवरी 2009 का अवतरण

सुनने में आया है
ठीक नहीं हैं हालात
कभी भी, कुछ भी हो सकता है
शटर गिर सकते हैं
सड़कें सूनी
गलियों में लोग जमा हो सकते हैं।

यह कभी भी हो सकता है
मिठाईयाँ बाँटते समय
फोड़ते समय पटाख़े
एजेंसियों से असंयमित ख़बर आते ही
छपते ही एक बौड़म अख़बार
हताशा में एक आदमी के चीखते ही।

यह अभी भी हो सकता है
और हम अपने घरों में बंद
जो हमने नहीं चाहा कभी
दस, बीस, पचास साल के जीव्न में।