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"ग़ालिब को सुनते हुए / शरद बिलौरे" के अवतरणों में अंतर
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15:33, 5 जनवरी 2009 का अवतरण
आपने मेरे सलाम का
जवाब नहीं दिया
चचा ग़ालिब
आप इतने उदास क्यूँ हैं
एक बात बताइये
आपको मौत से डर नहीं लगता
देखिये
यूँ हँस देने से काम नहीं चलेगा।
बुरा मत मानना
जितनी देर आप अपनी ग़ज़ल के
एक-एक शेर को गुनगुनाते रहे हैं
उतनी देर
यदि आप अपना पाजामा ही धोते
तो शायद
ऎसी उदास ग़ज़लें
लिखने की नौबत ही नहीं आती
वैसे आप तो बड़े शायर हैं
भला बताइये
इस समय
जब मैं
आपको प्रेम करने के गुर
बताने के मूड में हूँ
आपकी इन ग़ज़लों का क्या करूँ?