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"आख़िरकार / विजयदेव नारायण साही" के अवतरणों में अंतर

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13:57, 7 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

आख़िरकार कायरता ही
बची रहती है
चुप रहो
अपनी प्रार्थनाओं को लेकर चुप रहो

मैं इतना ही तय करता हूँ
कि आज सड़क पर एक क़दम
चलूँगा
पैर उठाते ही
कोई पीछे से कालर पकड़ कर खींचता है
किस से पूछ कर पैर उठाया।

आख़िरकार...