भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"व्यग्रता / प्रेमरंजन अनिमेष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमरंजन अनिमेष |संग्रह=मिट्टी के फल / प्रेमरं...)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:29, 8 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

सूर्य से पहले उठूँगा मैं
मेरी आँखों के डोरे होंगे पहली किरणों-से लाल

केशोंसे चूता पानी
और गीली पीठ

अफ़रा-तफ़री में डालूँगा कुछ मुँह में
होठों पर लगी रहेगी जूठन
जैसे कीच पपनियों में

बटन कमीज़ के डेढ़वार
पावों में चप्पलें दोरंग
राह पर गिरती ही होगी कभी ओस

आज कहीं पर रखने बात
आज किसी का देने साथ
समय से पहले जाना है