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"दो ईंटों का चूल्हा / प्रेमरंजन अनिमेष" के अवतरणों में अंतर

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13:39, 8 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

दो ईंटों का चूल्हा
वे कहीं भी लगा लेते हैं
दो ईंटों का चूल्हा
वे कहीं भी हटा लेते हैं

हवा जलाती है
दो ईंटों के चूल्हे को
बारिश बचाती है
दो ईंटों के चूल्हे को

दो ईंटों के चूल्हे पर
यह शीत भरी रात जगी है
दो ईंटों के चूल्हे पर
शहर भर की आँख लगी है...