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"बिंदु पर आदमी / दीनू कश्यप" के अवतरणों में अंतर
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जहाँ से शुरू हुआ जंगल
वहाँ खड़ा था आदमी
जहाँ ख़त्म हुआ जंगल
वहाँ भी मौजूद पाया गया आदमी
कहाँ रहें अब
शेर, हिरण, बाघ, खरगोश
बाज, कबूतर का स्थान कहाँ
भय की सरसराहट
जो तैर रही है
वैज्ञानिकों के शीशे में
उसके हर बिंदु पर
खड़ा है आदमी
आदमी ही तय करेगा अब
आदमी का होना आदमी
होना
इस पृथ्वी पर
जीवन का ।