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"प्रिया-3 / ध्रुव शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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शब्द मृग हैं
अर्थ ही आखेट करता है
जिसे अंगीकार किया
उसे ही धिक्कार रही है प्रिया--
'मैंने तुम्हें पति के रूप में पाया
पुत्र के रूप में जाया तुम्हें ही
अपने एक और अर्थ को पहचानो
मेरे गर्भ के दर्पण में
अपना मुख देखो'
शब्द
एकान्त में अर्थ का वरण करते हैं
अर्थ
उन्हें अकेला छोड़कर चला जाता है...