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"प्रिया-14 / ध्रुव शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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शब्द पर्वत पर जन्म लेते हैं

पत्ते खाकर जीते हैं
चेहरा पीला पड़ जाता है वहीं
झर जाता है एक अर्थ
फिर पीकता है वहीं से
एक और

मौर बाँधे काल

वन-प्रान्त में आलोकित
अमरता का रहस्य
विलोकती है प्रिया