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"बच्चे कामगर / दीनू कश्यप" के अवतरणों में अंतर

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02:14, 12 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

घरों से निकलते हैं
अलस्सुबह
निकाले गयों की तरह
नन्हे मेहनती कामगर बच्चे हाथों में
खिलौनों की जगह
झूलती हैं
बासी रोटी की मैली पोटलियाँ

पैरों को घसीटते
चलते हैं
आबनूसी रंग वाले बच्चे
श्रीकृष्ण के बालसखा
जिनकी आँखों में
तैरती रहती है सदा
कलियादह-सी भयावहता
दिहाड़ी कमाने के बाद
थके-मांदे लौटते हैं वे
घरों को ऎसे
पकड़ कर --
ले जाए जा रहे हों जैसे।