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"मूँछें-4 / ध्रुव शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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14:16, 12 जनवरी 2009 के समय का अवतरण


मैं अपनी मूँछ का बाल लेकर
उनके पास गया
वे कभी मेरी मूँछ देखकर ख़ुश होते थे
मुझे स्वयंवर में बुलाते थे

देखो मेरे भाग
वे सोना
मैं सुहाग
खाली हाथ लौट रहा हूँ
द्वार से

डालर की क़ीमत बढ़ गई है

मूँछें उनकी भी हैं
वे अपनी मूँछों पर हाथ फेर दें
तो मूछों की क़ीमत गिर जाती है
बारात लौट जाती है