भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेम / रेखा चमोली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |संग्रह= }} <Poem> प्रेम में चट्टानों पर उ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:25, 13 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
प्रेम में
चट्टानों पर उग आती है घास
किसी टहनी का
पेड़ से कटकर
दूर मिट्टी में फिर से
फलना-फूलना
प्रेम ही तो है
प्रेम में पलटती हैं ऋतुएँ
प्रेम में उत्पन्न संतान को
अपनाने से
करता है इन्कार
कायर पिता
बेबस माँ फेंक देती है
नदी किनारे
जहाँ नोच खाते हैं उसे
आवारा कुत्ते।