भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक दिन धूप में / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=बहुत दिनों के बाद / सुधीर ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:49, 15 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
एक दिन
धूप में
आसमान से उतर कर
एक चिड़िया आएगी
और चोंच मारने लगेगी
कांधे पर
तब मुझे
तुम्हारी याद आएगी
तुम
जो चिड़िया बनकर
एक दिन
आसमान में उड़ गई थीं ।
मुझे अकेला छोड़ ।