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"एक स्त्री / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर
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03:08, 16 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
देह एक मिट्टी
एक अनवरत आश्चर्य धुन
देह एक झूठ
एक सतत धोखा
देह एक ब्रांड
एक लगातार विज्ञापन
बाज़ार एक आकर्षक जगह
एक कल्पनातीत कीमत
उसने सुना-गुना सब
वह लिखती है रोज़ बस
उस की क़िताब में एक स्त्री
अब
स्त्री जो मध्य युग से
इतनी बाहर
कि आज की