भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आँधी में / तेजी ग्रोवर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेजी ग्रोवर |संग्रह=लो कहा साँबरी / तेजी ग्रोवर ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:36, 20 जनवरी 2009 का अवतरण
आँधी में
अमरूद ने अपनी सुगन्ध तक फेंक डाली है
उसे पता रहे न रहे
जिसके पास कहानी नहीं थी, अब है
मृत्यु को टरकाने का एक बहाना हवा में है
और मृत्यु की टोह लेने का
मैं भी सुगन्ध के किस चक्रव्यूह में अनिश्चित
कहाँ, कितना इत्यादि
और कैसे निकलूँ हँसी-हँसी में
इस कविता से आख़िरकार